rishi muni आदि काल के 20 महान ऋषि मुनि जिन्होंने कई प्रकार के

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आदि काल के 20 महान rishi-muni जिन्होंने कई प्रकार के वैज्ञानिक खोज किए हिन्दु धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन rishi-muni एवं दार्शनिक वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

rishi muni आदि कल के 20 महान ऋषि मुनि जिन्होंने कई प्रकार के
rishi muni आदि कल के 20 महान ऋषि मुनि जिन्होंने कई प्रकार के 

rishi-muni परिचय 

क्या अंतर है ऋषि, मुनि, योगी,और साधु , संत में इनको अलग -अलग नामो से क्यों पुकारा या जाना जाता है दोस्तों सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार ऋषि शब्द देवताओं के बोले जाने वाला भाषा संस्कृत से लिया गया है यह नाम नहीं है यह एक तरह के टाइटल है जो उस समय सिद्ध पुरुषओ को दिया जाता था ऋषि शब्द उस सिद्ध पुरुष को कहा जाता था जिसे अपने शास्त्र का सम्पूर्ण ज्ञान हो और हर वस्तु के पीछे का साइंस के बारे में जानकारी हो उसे ऋषि शब्द से संबोधित किया जाता था और मुनि शब्द संस्कृत के मनन शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ सोचना होता है मुनि उस सिद्ध पुरुष को कहा जाता है जो किसी भी चीजों के बारे में गहराई से मनन या चिंतन करके सही और सटिक उत्तर देता हो उसे मुनि शब्द से संबोधित किया जाता था और योगी उस सिद्ध पुरुष को कहा जाता है जिसे हरेक तरह का योग क्रिया का ज्ञान हो उसे योग गुरु या योगी ऋषि शब्द से संबोधित किया जाता है साधु और संत दोस्तों साधु उस पुरुष को कहा जाता है जो हमेसा सही मार्ग पर चलता हो और हमेसा सच बोलता हो और किसी का बुरा नहीं चाहता हो और संत उस पुरुष को कहा जाता है जो कठिन परिश्रम से ज्ञान अर्जित क्या हो जिनसे वह समाज का कल्याण कर सके उसे संत कहा जाता है दोस्तों ऋषिओ को वैदिक कल के हम वैज्ञानिक भी कह सकते क्योकि कई हजार पूर्व सनातन धर्म में rishi-muni ने कई प्रकार के खोज किये है जो निचे निम्नलिखित है

rishi-muni के वैज्ञानिक खोज 

No.1 अश्विनीकुमार 

पुराने धर्म ग्रंथ के मन्याताओ के अनुसार ये देवताओं के चिकित्सक थे। कहा जाता है कि इन्होंने उड़ने वाले रथ एवं नौकाओं का आविष्कार किया था। 

No.2 धन्वंतरि 

हिन्दु धर्म ग्रंथ के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार है इन्हें आयुर्वेद का प्रथम आचार्य व जनक माना जाता है। इनके ग्रंथ का नाम धन्वंतरि संहिता है। इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने शल्य चिकित्सा का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया ऋषि सुश्रुत और नागार्जुन मुनि इन्हीं की परंपरा में हुए थे। 

No.3 ऋषि सुश्रुत 

 ऋषि सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी का माना जाता है ये गुरु विशवामित्र के पुत्र थे ऋषि सुश्रुत को दुनिया का पहेला सर्जन कहा जाता है 

No.4 ऋषि भारद्वाज 

आधुनिक विज्ञान के अनुसार राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। लेकिन वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कई सदियों पहले ही ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी कहा जाता है। 

No.5 ऋषि विश्वामित्र 

ऋषि विश्वामित्र ज़ी ऋषि बनने से पहले क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद संन्यासी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई। इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी। 

No.6 गर्गमुनि 

गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्री कृष्ण एवं अर्जुन को नक्षत्र विज्ञान के आधार पर महाभारत जैसे विनाशक युद्ध के बारे मे पहले ही जनकारी दे दी थी इसके पीछे की वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनि जी ने पहले बता दिए थे। 


No.7 पतंजलि 

आज के दौर में जानलेवा बीमारियों जैसे कैंसर या कर्करोग का उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर जैसे भयानक रोग का भी उपचार संभव है।

No.8 महर्षि कपिल :- 

बौद्ध धर्म के अनुसार महर्षि कपिल को गौतम बुद्ध का वंशज माना जाता है इनको सांख्य दर्शन के प्रवर्तक और सूत्रों के रचयिता कहा जाता है महर्षि कपिल को चेतना की शक्ति एवं त्रिगुणात्मक प्रकृति के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र दिए है । कणाद ऋषि :- कणाद ऋषि को परमाणु सिद्धांत का जनक माना जाता है इन्होने हजारों साल पहले परमाणु सिद्धांतो का खोज किये थे और ये वैशेषिकसूत्र दर्शन के प्रवर्तक हैं। इनके समय अणु विज्ञान दर्शन का विषय था, जो बाद में भौतिक विज्ञान में प्रचलित हुआ । 

No.9 सुश्रुत :- 

दुनिया के सबसे पहले डॉक्टर सुश्रुत को माना गया है ये शल्य चिकित्सा पद्धति के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य थे। इन्होंने सुश्रुत संहिता नामक ग्रंथ में शल्य चिकित्सक क्रिया का वर्णन किया है। सुश्रुत ने ही त्वचारोपण (प्लास्टिक सर्जरी) और मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सक क्रिया का विकास किया था। पार्क डेविस ने सुश्रुत को विश्व का पहले शल्य चिकित्सक कहा है। 

No.10 जीवक :- 

संसार के पहले न्यूरोसर्जन जीवक को कहा जाता है ये सम्राट बिंबसार के एकमात्र राज्य वैद्य थे और ये उज्जयिनी सम्राट चंडप्रद्योत के भी शल्य चिकित्सा इन्होंने ही की थी।और कुछ लोगो का मानना हैं कि गौतम बुद्ध की चिकित्सा भी इन्होंने की थी। 

No.11 बौधायन :- 

बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुलयशास्त्र के रचयिता थे। आज दुनिया भर में यूनानी उकेलेडियन ज्योमेट्री पढाई जाती है मगर इस ज्योमेट्री से पहले भारत के कई गणितज्ञ ज्योमेट्री के नियमों की खोज कर चुके थे। उन गणितज्ञ में बौधायन का नाम सबसे ऊपर है, उस समय ज्योमेट्री या एलजेब्रा को भारत में शुल्वशास्त्र कहा जाता था।

No.12 भास्कराचार्य :- 

भास्कराचार्य जी को महान गणितज्ञ एवम खगोलशास्त्री कहा गया है लेकिन इस आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्तियों (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) का खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय वस्तुओं को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी वस्तु पृथ्वी पर गिरता है’।

No.13 ब्रह्मगुप्त :- 

7 वीं शताब्दी में, ब्रह्मगुप्त ने गणित को दूसरों से परे ऊंचाइयों तक ले गये। गुणन के अपने तरीकों में, उन्होंने लगभग उसी तरह स्थान मूल्य का उपयोग किया था, जैसा कि आज भी प्रयोग किया जाता है। उन्होंने गणित में शून्य पर नकारात्मक संख्याएं और संचालन शुरू किया। उन्होंने ब्रह्म मुक्त सिध्दांतिका को लिखा, जिसके माध्यम से अरब देश के लोगों ने हमारे गणितीय प्रणाली को जाना। 

No.14 अग्निवेश :- 

ये शरीर विज्ञान के रचयिता थे। 

No.15 शालिहोत्र :- 

इन्होंने पशु चिकित्सा पर आयुर्वेद ग्रंथ की रचना की। 

No.16 चरक :- 

चरक संहिता के रचयिता, महर्षि चरक औषधि के प्राचीन भारतीय विज्ञान के पिता के रूप में जाने जातें हैं। ये कनिष्क के दरबार में राज वैद्य (शाही चिकित्सक) थे, उनकी चरक संहिता चिकित्सा पर एक उल्लेखनीय पुस्तक है। इसमें रोगों की एक बड़ी संख्या का विवरण दिया गया है और उनके कारणों की पहचान करने के तरीकों और उनके उपचार की पद्धति भी प्रदान करती है। वे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पाचन, चयापचय और प्रतिरक्षा के बारे में बताते थे और इसलिए चिकित्सा विज्ञान चरक संहिता में, बीमारी का इलाज करने के बजाय रोग के कारण को हटाने के लिए अधिक ध्यान रखा गया है। चरक आनुवांशिकी (अपंगता) के मूल सिद्धांतों के लिए भी जाने जाते है ।

No.17 व्याडि :- 

ये रसायन शास्त्री थे। इन्होंने भैषज (औषधि) रसायन का प्रणयन किया। अलबरूनी के अनुसार, व्याडि ने एक ऐसा लेप बनाया था, जिसे शरीर पर मलकर वायु में उड़ा जा सकता था। 

No.18 आर्यभट्ट :- 

इनका जन्म 476 ई. में कुसुमपुर ( पाटलिपुत्र ) पटना में हुआ था। ये महान खगोलशास्त्र और व गणितज्ञ थे। इन्होने ही सबसे पहले सूर्य और चन्द्र ग्रहण की वियाख्या की थी और सबसे पहले इन्होने ही बताया था की धरती अपनी ही धुरी पर धूमती है और इसे सिद्ध भी किया था। और यही नही इन्होने हे सबसे पहले पाई के मान को निरुपित किया।

No.19 वराहमिहिर :- 

इनका जन्म 499 ई . में कपित्थ (उज्जैन ) में हुआ था। ये महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्र थे इन्होने पंचसिद्धान्तका नाम की किताब लिखी थी जिसमे इन्होने बताया था कि, अयनांश , का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर होता होता है | और इन्होने शून्य और ऋणात्मक संख्याओ के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया। 

No.20 हलायुध :- 

इनका जन्म 1000 ई . में काशी में हुआ था। ये ज्योतिषविदया , और गणित के महान वैज्ञानिक भी थे। इन्होने अभिधानरत्नमाला या मृतसंजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना की | इसमें इन्होने या की पास्कल त्रिभुज ( मेरु प्रस्तार ) का स्पष्ट वर्णन किया है।पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदिकाल के वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

Frequently Asked Question's (FAQs)

No.1 भारत में कितने ऋषि मुनि है? 

 वैसे तो भारत में कुल 62 ऋषि मुनि हुए लेकिन 7 ऋषि मुनि सबसे सर्वश्रेष्ठ है जिनका नाम इस प्रकार के है विश्वामित्र, वशिष्ठ, कण्व, भरद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक ये हैं वे सात ऋषि जिन्होंने सबसे सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है 

No.2 भारत के प्रथम ऋषि कौन थे?

वैदिक ॠषि भारत के प्रथम ऋषि अगस्त्य को माना जाता है ये एक वैदिक ॠषि थे ये वशिष्ठ मुनि के बड़े भाई थे इनका जन्म काशी में हुआ था जो वर्तमान समय में वह स्थान अगस्त्यकुंड के नाम से जाता है। 

No.3 7 ऋषि कौन से हैं? 

पद्मपुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण के अनुसार कश्यप, वशिष्ठ,अत्रि,विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है। हर काल में और हर समय में अलग-अलग सप्तर्षि होते हैं। ये सप्तर्षि मौजूदा काल के हैं।

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