History of Magadha Empire मगध साम्राज्य का इतिहास

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History of Magadha Empire मगध साम्राज्य का इतिहास


प्राचीन भारत के इतिहास में मगध साम्राज्य अपने वीर योद्धाओं और कई शक्तिशाली शासकों के वजह से जाना जाता है जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों ग्रंथ में मिलता है। इस साम्राज्य में मूलतः कई राजवंशों ने राज्य किया जिसमें बृहद्रथ वंश,प्रद्योत वंश,हर्यक वंश,शिशुनाग वंश,नन्द साम्राज्य,मौर्य साम्राज्य,शुंग साम्राज्य, इत्यादि

मगध साम्राज्य का इतिहास

महाभारत तथा पुराणों के अनुसार छठी शताब्दी ईसा पूर्व में वृहद्रथ ने मगध साम्राज्य की स्थापना की। जिसकी राजधानी गिरिव्रज को बनाया (आधुनिक नाम राजगीर बाद में पाटलिपुत्र वर्तमान मे पटना) और बार्हद्रथ वंश (वृहद्रथ वंश) की नींव रखी। कालांतर में वृहद्रथ को एक पुत्र हुआ जिसका नाम जरासंध रखा गया, जो एक बहुत ही प्रतापी और शक्तिशाली राजा बना जिसका उल्लेख हमे महाभारत जैसे महाकाव्य ग्रंथ में मिलता है। अथर्ववेद तथा ऋग्वेद में भी मगध साम्राज्य का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार जरासंध की मृत्यु के पश्चात
मगध पर शिशुनाग वंश का अधिपत्य हुआ। परन्तु बौद्ध साहित्य(शास्त्रसमूह) के अनुसार शिशुनाग वंश साम्राज्य का कोई अस्तित्व नहीं है और उसकी जगह हर्यक वंश की स्थापना हुई थी, क्यूंकि जब भगवान बुद्ध ने धर्म प्रचार हेतु मगध राज्य की यात्रा प्रारंभ की थी तब वहां का राजा हर्यक वंश का बिम्बिसार था। और विभिन्न इतिहासकारों के मत के अनुसार मगध पर शासन करने वाले वंश -

हर्यक वंश (545 ई. पू. से 412 ई. पू. तक) D बिंबसार या बिम्बिसार

बिंबसार या बिम्बिसार ने हर्यक वंश की नींव रखी थी। बिंबसार हर्यक वंश का एक प्रतापी और शक्तिशाली राजा था, जो 15 वर्ष की आयु में सन् 543 ई० पू० मगध का सम्राट बना। जिसकी राजधानी भी गिरिव्रज ही था, पर कुछ समय बाद 'राजगृह' को राजधानी बनाया गया। अजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र अजातशत्रु था जिसने बिम्बिसार की मृत्यु के पश्चात 491 ई० पू० मगध साम्राज्य का सिंहासन संभाला। पुराणों के अनुसार 'दर्शक' अजातशत्रु का उत्तराधिकारी बना, परन्तु जैन और बौद्ध ग्रन्थ के अनुसार 'उदायिन' को उत्तराधिकारी माना जाता है, जिसने 'पाटलिपुत्र' नगर की स्थापना की थी। अजातशत्रु को 'कुणिक' के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग का मत हैं कि अजातशत्रु जैन धर्म का अनुयायी था, परन्तु कुछ समय पश्चात अजातशत्रु बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया। इसीलिए अजातशत्रु ने बुद्ध के निर्वाण (मृत्यु) के पश्चात उनके अवशेषों पर स्तूप का निर्माण किया, जिसे 'राजगृह' (वर्तमान में राजगीर, जिला-नालंदा, बिहार) में बनाया गया। नागदशक हर्यक वंश का अंतिम शासक नागदशक था।

शिशुनाग वंश (412 ई. पू. से 344 ई. पू. तक) •

शिशुनाग कुछ समय के बाद हर्यक वंश के राजाओं की शक्ति धीरे धीरे कमजोर होने लगी जिसका फायेदा शिशुनाग नामक राजा के सेवक को मिला और वह धोखे से सिहांसन पर कब्ज़ा कर लिया और मगध का सम्राट बन गया तभी से शिशुनाग वंश का उदय हुआ। शिशुनाग ने भी गिरिव्रज को ही अपनी राजधानी बनाया था। कालाशोक शिशुनाग की मृत्यु के पश्चात शिशुनाग का वंश कालाशोक ने मगध का साम्राज्य कार्यभार संभाला। कालाशोक ने 'पाटलिपुत्र' को मगध की राजधानी बनाया। और बौद्ध धर्म की द्वितीय संगीति का आयोजन कालाशोक के कार्यकाल में ही वैशाली में किया गया था। नंदीवर्धन कालाशोक के दस पुत्र थे, जिन्होंने शिशुनाग वंश के अंतिम समय तक मगध पर शासन किया, जिनमें से नन्दिवर्धन शिशुनाग वंश का अंतिम शासक था।

नन्द वंश (344 ई. पू. से 322 ई. पू. तक) - •

महाप‌द्मनंद (उग्रसेन) महाप‌द्म नंद ने शिशुनाग वंश का तख्तापलट कर मगध साम्राज्य पर अधिकार जमा लिया और नंदवंश की नींव रखी। पाली धर्म ग्रंथों के अनुसार महाप‌द्म को उग्रसेन के नाम से भी जाना गया है।क्योंकि महाप‌द्म के पास एक विशाल सेना थी जिसके कारण महाप‌द्म को उग्रसेन कहा गया। जैन ग्रंथों के अनुसार महापद्म को वेश्या का पुत्र माना गया है, लेकिन कई मतों के अनुसार माना जाता है कि महाप‌द्म निम्न कुल का था। और यही कारण है कि महाप‌द्म यानी उग्रसेन को प्राचीन भारत का पहला शूद्र सम्राट भी कहा गया।

नंदराज (धननंद या घनानंद)


नन्दवंश का अंतिम शासक नंदराज था, जिसे बौद्ध ग्रंथों में धननन्द (घनानंद) के नाम से जाना जाता है। 322 से 321 ई० पू० में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य के साथ मिलकर धननंद की हत्या कर मगध का तख्तापलट किया और मौर्य साम्राज्य की नींव रखी। इसके बाद प्राचीन भारत के सबसे विशाल साम्रज्य का उ‌द्भव हुआ जिसे मौर्य साम्राज्य या मौर्य वंश के नाम से जाना गया। जो भारत के इतिहास को अंधकार से प्रकाश की तरफ ले गया।

Frequently Asked Question's (FAQs)

No.1 मगध का सबसे पहला राजा कौन था?

महाभारत तथा पुराणों के अनुसार छठी शताब्दी ईसा पूर्व में वृहद्रथ ने मगध साम्राज्य की स्थापना की। जिसकी राजधानी गिरिव्रज को बनाया (आधुनिक नाम राजगीर बाद में पाटलिपुत्र वर्तमान मे पटना) और बार्हद्रथ वंश (वृहद्रथ वंश) की नींव रखी। 

No.2 मगध का सबसे शक्तिशाली शासक कौन था?

कालांतर में वृहद्रथ को एक पुत्र हुआ जिसका नाम जरासंध रखा गया, जो एक बहुत ही प्रतापी और शक्तिशाली राजा बना जिसका उल्लेख हमे महाभारत जैसे महाकाव्य ग्रंथ में मिलता है। अथर्ववेद तथा ऋग्वेद में भी मगध साम्राज्य का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार जरासंध की मृत्यु के पश्चात मगध पर शिशुनाग वंश का अधिपत्य हुआ।

No.3 मगध के अंतिम राजा कौन थे?

नन्दवंश का अंतिम शासक नंदराज था, जिसे बौद्ध ग्रंथों में धननन्द (घनानंद) के नाम से जाना जाता है। 322 से 321 ई० पू० में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य के साथ मिलकर धननंद की हत्या कर मगध का तख्तापलट किया और मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।
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